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September 18, 2021

बैजनाथ मंदिर, बागेश्वर (Baijnath Temple – Bageshwar)

बैजनाथ मंदिर, बागेश्वर

(Baijnath Temple, Bageshwar)


उत्तराखंड के बागेश्वर जिले मैं गोमती नदी के बाएं किनारे पर स्थित हैं बैजनाथ का मंदिर। मुख्य मंदिर के रास्ते में बामणी का मंदिर (संस्कृत ब्रह्मणी का भ्रष्ट रूप) है। कहा जाता है कि यह जगह ब्राह्मण विधवा के द्वारा बनाई गई थी और भगवान शिव को उसके द्वारा समर्पित किया गया था। एक और कहानी के अनुसार एक ब्राह्मण महिला जिसे क्षत्रिय ने अपहरण कर लिया था ने इसका निर्माण किया। उसने इस मंदिर को अपने पापों के क्षमन के लिए भगवान शिव को समर्पित कर दिया। मंदिर के अंदर शिव की एक मूर्ति है, इसमें कोई शिलालेख नहीं है। मंदिर का निर्माण तिलिहाटा समूह से भिन्न नहीं है, इसलिए यह भी इसी अवधि का कहा जा सकता है। मुख्य मंदिर, बैजनाथ या वैद्यनाथ (शिव का एक नाम) को समर्पित है, जो वर्तमान में गांव का नाम भी है और गोमती नदी के पास स्थित है। कत्यूरी रानी के आदेशों द्वारा नदी के किनारे बनायीं गई पत्थरों की सीडियों से भी मंदिर में पहुंचा जा सकता है। यह जगह निवासियों की स्नान की जगह थी जिसे वर्तमान में मंदिर के निकट एक कच्चे तालाब में परवर्तित किया गया है। बैजनाथ कौसानी से 19 किमी दूर और बागेश्वर से 26 किमी दूर है। एक समय यह कत्यूरी राजवंश के राजाओं की राजधानी थी और इस जगह को कार्तिकपुरा कहा जाता था।

बैजनाथ धाम एक ऐसा शिव धाम है। जहां शिव और पार्वती एक साथ विराजमान हैं। कहा जाता है कि शिव और पार्वती का यहीं विवाह हुआ था। जो व्यक्ति सच्चे मन से यहां भगवान शिव और पार्वती के दर्शन करने आता है। उसकी मन्नत निश्चित तौर पर पूरी होती है। इतिहास के पन्ने बताते हैं कि बैजनाथ 7 वीं से 11 वीं शताब्दी ईस्वी के आसपास कत्यूरी राजवंश की राजधानी हुआ करता था, जिसका प्रारंभिक नाम कार्तिकेयपुर था। बैजनाथ मंदिर भी कत्यूरी राजाओ द्वारा बनवाया गया था, जिसमें भगवान शिव, देवी पार्वती, भगवान गणेश, भगवान ब्रह्मा और विभिन्न अन्य हिंदू देवताओं की मूर्तियों को स्थापित किया गया था।

बैजनाथ मैं एक और कथा जुडी हुई है जिसका सम्बन्ध पांडवों से है, यहाँ पर एक पत्थर है जिसे भीम शिला नाम से जाना जाता है, यह पत्थर मंदिर परिसर मैं है जिसका वजन ७०-८० किलो या अधिक होगा, पर या साधारण सी शिला नहीं है क्योंकि कोई भी इसे अपने हाथों से नहीं उठा सकता परन्तु केवल एक हाथ की नवीं ऊँगली का प्रयोग करके नौं संख्या का जप करके इसे थोड़ा सा उठाया जा सकता है, कहते है की पांडव पुत्र भीमसेन ने इस शिला को छुआ था इसलिए इसे भीम शिला के नाम से जाना जाता है। 


कैसे पहुंचे (How to Reach Baijnath Temples)- 

हवाई मार्ग से - यहाँ पर सबसे नजदीकी हवाई अड्डा पंतनगर हवाई अड्डा है, जोकि यहाँ से सड़क मार्ग से सीधे जुड़ा हुआ है, 
रेल मार्ग - सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन काठगोदाम रेलवे स्टेशन है। 
सड़क मार्ग से -  बैजनाथ राज्य के सभी प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है, बैजनाथ बागेश्वर-ग्वालदाम और अल्मोड़ा-गोपेश्वर सड़कों के तिराहे पर स्थित है। यह उत्तराखंड परिवहन निगम की 'कुमाऊं दर्शन' बस सेवा द्वारा हल्द्वानी, भीमताल, अल्मोड़ा और रानीखेत से भी जुड़ा हुआ है।  



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